लेखनी कहानी -08-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 25
अगली सुबह नयी उम्मीदों के साथ हुयी। हिमानी अपने बिस्तर से उठी और बाहर खिड़की से देखने लगी मौसम बेहद सुहाना था आसमान में काले बादल छाए हुए थे हलकी हलकी रिमझिम हो रही थी । मनोरम हवा बह रही थी । हिमानी खिड़की के पास खड़ी बाहर का नज़ारा देखती रही।
वही दूसरी तरफ हंशित भी खिड़की के पास खड़ा बाहर का नज़ारा देख रहा था । वो किसी गहरी सोच में खोया था की अचानक उसका फ़ोन बजा उसने देखा तो उसकी माँ का फ़ोन था ।
किसी और का होता तो नही उठाता लेकिन उसकी माँ का था इसलिए उठा कर बात की, उसने अपनी आवाज़ सही की ताकि माँ को पता ना चल सके की उसे कुछ हुआ है और वो परेशान है।
लेकिन माँ तो माँ होती है औलाद की आवाज़ से बखूबी वाकिफ होती है बच्चें चाहे कितना ही अपने दर्द को अपने अंदर छिपा कर माँ से झूठ बोलने की कोशिश करे लेकिन वो पहली आवाज़ से ही समझ जाती है की उसके जिगर के टुकडे को कुछ हुआ है और रुपाली जी भी समझ गयी ।
हंशित नही चाहता था की उसकी माँ को उसकी एक तरफ़ा मोहब्बत के बारे में पता ना चले बेवजह उम्मीद बांध लेंगी लेकिन माँ, माँ होती है उसने आखिर कार उसके उदास होने की वजह जान ही ली बातों बातों में।
और वो बोली " बेटा कही तुम्हे वहा किसी से प्यार तो नही हो गया "
हंशित ये सुन चौक कर बोला " माँ आपको कैसे पता "
"बेटा तुम्हारी माँ हूँ तुम्हारी आवाज़ सुन कर तुम्हारा हाल - ए - दिल बता सकती हूँ, अच्छा बताओ कौन है वो और कैसी दिखती है और कब लेकर आ रहा है उसे हमसे मिलाने " रुपाली जी ने कहा
हंशित थोड़ी देर खामोश रहा
"बेटा क्या हुआ कुछ बोलो तो खामोश क्यू हो गए " रुपाली जी ने कहा
हंशित अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोला " माँ मैं नही जानता की मेरी इस मोहब्बत की कोई मंजिल है भी या नही इसलिए मैं आपको उम्मीद दिलाना नही चाहता , मेरी मोहब्बत एक तरफा है या कुछ और ये भी नही जानता बस इतना पता है की मुझे उससे मोहब्बत सी हो गयी है उठते बैठते उसी का चेहरा नज़र आता है , नही जानता की उसे भी मुझसे मोहब्बत है या नही "
"बेटा अगर उससे प्यार करते हो तो उसे बता दो यूं इस तरह जज्बातों को दिल के अंदर कैद करके मत रखो जो भी होगा अच्छा होगा मुझे पूरा भरोसा है , अपने दिल की बात उससे कह दो क्या पता देर हो जाए और किस्मत कब अपना रुख बदल ले, इसलिए बेटा बिना समय गवाएं इज़हार - ए - मोहब्बत कर दो अच्छा ये बताओ मेरे बेटे की पसंद कैसी है ज़रूर बेहद खूबसूरत होगी मेरा बेटा भी तो लाखो में एक है " रुपाली जी ने कहा
माँ लड़की नही अप्सरा कहो, उसके सिल्की बाल, बड़ी बड़ी हिरणी जैसी आँखे , लम्बी नाक मधुर आवाज़ हंशित ने उसकी तारीफ करते हुए कहा
"बेटा मुझे ख़ुशी है की तू अपनी ज़िन्दगी में वापिस लोट रहा है बस अब देर ना कर उसे जाकर बता दे जो कुछ भी तेरे दिल में है उसके लिए बाकी ईश्वर की मर्ज़ी वो पत्थर दिलो में भी प्रेम भर ही देता है अगर इश्क़ सच्चा हो बेटा मैं बेहद खुश हूँ, तेरी दादी सुनेगी तो बेहद खुश होगी अच्छा अब मैं फ़ोन रखती हूँ " रुपाली जी ने फ़ोन रखते हुए कहा
फ़ोन रख कर जैसे ही वो पीछे मुड़ी अपने पीछे हंसराज जी को देख डर गयी और बोली " आप कब आये जॉगिंग से डरा दिया मुझे "
"अब क्या नया कारनामा अंजाम देने जा रहा है तुम्हारा बेटा और इस कारनामें में तुम भी उसका साथ दे रही हो क्या पट्टीया पढ़ा रही थी तुम उसे प्यार के बारे में और किस तरह की लड़की पर उसका दिल आ गया , मुझे तो समझ नही आता की वो मेरी ही औलाद है अब ना जाने कैसे और किस तरह के लोगो की लड़की के इश्क़ में मुबतिला हो गया है " हंसराज जी ने कहा
"आप छोड़ दीजिये उसे उसके हाल पर, उसे पता है उसके लिए क्या सही है और क्या गलत आपको उसकी परवाह करने की कोई ज़रुरत नही " रुपाली जी ने कहा
परवाह कैसे ना करू बाप हूँ उसका यूं इस तरह अपनी आँखों के सामने उसे अपनी ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ करते कैसे देख सकता हूँ हंसराज जी और कुछ कहते तब ही रुपाली जी बोल पड़ी
"अगर बाप की हैसियत से परवाह करनी है तो उसके सपने को समझिये उसको समझिये , यूं इस तरह बाहर से सख्त और अंदर से नर्म रह कर उससे मत मिलिए उसके पास बैठिये उसके दिल का हाल जानने की कोशिश कीजिये एक दोस्त की तरह, एक असली बाप की तरह उसके सर पर प्यार और मोहब्बत का हाथ फेरिये कुछ अपनी कहिये कुछ उसकी सुनिए पैसा ख्वाहिश और ज़रूरते तो पूरी कर देता है लेकिन आपसी रिश्तों के बीच एक दीवार खड़ी कर देता है अपने बच्चों को समय दीजिये सारा समय मीटिंग और दफ़्तर में ही मत गवा दीजिये। कुछ समय निकाल कर हम लोगो के साथ भी बैठिये फिर देखिये सब लोग आपकी हर बात मानेंगे " रुपाली जी ने कहा
"अब सारे काम धन्दे छोड़ कर इस काम पर लग जाऊ की हर औलाद के पास बैठ कर उसका हाल - ए - दिल जानने की कोशिश करू इतना फालतू समय नही है मेरे पास, जिसे आना है खुद मेरे पास आ जाए अब देर हो रही है मेरे कपडे निकालो मुझे दफ़्तर जल्दी जाना है " हंसराज जी ने कहा और नहाने चले गए
"आपको ईश्वर ही सद्बुद्धि देंगे मुझे डर है की कही जब तक देर ना हो जाए " रुपाली जी ने कहा और हंसराज जी के कपडे निकालने चली गयी
रुपाली जी ने हंसराज जी के कपडे स्त्री करके बाहर हैंग कर दिए और खुद बाहर चली गयी हंशित से बात करने के बाद उनके चेहरे पर एक चमक सी थी । हेमलता जी और रजनी देख कर पूछने लगी।
रुपाली जी ने सब कुछ बता दिया जिसे सुनने के बाद हेमलता जी और रजनी बेहद खुश हुए और तीनो गले लग गए । तब ही हंसराज जी नीचे आ जाते है और वो उन्हें देख अलग अलग हो जाती है और नाश्ते की मेज पर सब साथ बैठ कर नाश्ता करते है । बाहर हलकी फुलकी बारिश हो रही थी ।
दूसरी तरफ हंशित इधर से उधर चककर लगा रहा था वो भव्या के फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था तब ही उसका फ़ोन बज उठता है उसने देखा भव्या का ही फ़ोन था ।
उसने झट से फ़ोन उठाया और बोला " भव्या कहा थी कब से इंतज़ार कर रहा था , क्या तुमने अपनी बहन से बात की क्या उसके दिल में भी मेरे लिए वही जज़्बात है जो मेरे दिल में उसके लिए है "
हंशित ने एक ही सास में सब कह डाला।
"थोड़ा सास तो लो हंशित , सब कुछ एक ही बार में पूछ डाला " भव्या ने कहा
"क्या करू कुछ समझ नही आ रहा सोचा नही था की एक तरफ़ा मोहब्बत इतनी तकलीफ देती " हंशित ने कहा
"तुम्हारी मोहब्बत एक तरफ़ा नही है आग दोनों तरफ बराबर की लगी है " भव्या ने कहा
हंशित थोड़ा मुस्कुराया और लड़खड़ाती जुबान में बोला " क,,,, क,,,, क्या मतलब भव्या तुम्हारा इसका मतलब हिमानी भी "
"मैं यकीन से नही कह सकती लेकिन कुछ तो है जो दीदी कहना तो चाहती है पर कह नही पा रही है , मेने एक अजीब सी कशिश उनकी आँखों में देखी है अब वो तुम्हारे लिए उनके दिल में मोहब्बत है या कुछ और मैं नही जानती वो शायद मानने को तैयार नही है की उन्हें तुमसे मोहब्बत हो गयी है, वो माँ पिताजी का मान नही तोडना चाहती है शायद इसलिए वो अपने दिल के जज्बातों को जुबान पर लाने से डर रही है शायद वो अंदर ही अंदर अपने आप से लड़ रही है और ये लड़ाई दिल और दिमाग़ के बीच है कुछ करना होगा जिससे की वो अपने दिल की बात जुबान पर ले आये , तुम्हे उनसे खुद इज़हार - ए - मोहब्बत कराना होगा तब ही वो अपने दिल में उठ रहे तुफानो को एक नयी दिशा दे पाएंगी नही तो उस सुरेन्द्र से ही शादी कर लेंगी " भव्या ने कहा
"भव्या तुम्हारा बेहद शुक्रिया मेरी मदद करने के लिए , मुझे उम्मीद मिल गयी है की मेरी मोहब्बत एक तरफ़ा नही है बाकी तुम मुझ पर छोड़ दो उससे उस की दिल की बात कैसे बाहर निकल वाना है मैं अच्छी तरह जानता हूँ " हंशित ने कहा
"मुझसे वायदा करो की कभी मेरी बहन का दिल नही दुखाओगे, जैसी मोहब्बत आज उससे करते हो ज़िन्दगी के हर मोड़ पर ऐसे ही करोगे , कभी उसकी आँख में आंसू नही आने दोगे वादा करो " भव्या ने कहा
"हाँ, भव्या मैं वायदा करता हूँ जब तक हंशित रहेगा हिमानी पर कोई आंच नही आने देगा खुद फ़ना हो जाएगा लेकिन अपने प्यार के ऊपर एक आंच तक नही आने देगा," हंशित ने कहा
"क्या आज हमारी मुलाक़ात हो सकती है " हंशित ने पूछा
आज नही एक आद दिन में दीदी थोड़ा अच्छा महसूस करने लगेगी तो खुद तुम लोगो को घुमाने ले जाएगी अभी वो थोड़ा उदास है मैं कोशिश करती हूँ तुम दोनों की मुलाक़ात जल्दी हो जाए ताकि तुम दोनों अपने दिल की बात एक दूसरे से कह सको अच्छा मैं अब फ़ोन रखती हूँ फिर बात करूंगी माँ बुला रही है नाश्ते के लिए ये कह कर भव्या ने फ़ोन रख दिया।
हंशित के बेचैन दिल को सुकून मिला और उसने सो रहे दोस्तों को जगाया।
"क्या हंशित सोने दे ना यार क्यू जगा रहा है, मोहब्बत में तेरी नींद तो उड़ गयी है अब हमारी क्यू उडाने पर तुला है " लव ने कहा आँख मलते हुए
"उठो दोस्तों अब सोने का समय नही है कुछ कर गुजरने का समय है," हंशित ने कहा
"क्या हुआ भाई क्यू सुबह सुबह हम सब की नींद ख़राब कर रहा है क्या किसी मिशन पर जाना है " कुश ने कहा अपने मुँह से कम्बल उठाते हुए
"मिशन ही समझो, इश्क़ का मिशन जिसमे या तो नई ज़िन्दगी बाहे फैलाये इंतज़ार करेगी या फिर इस ज़िन्दगी से हाथ धो बैठऊँगा " हंशित ने कहा
"अब ऐसा भी क्या हो गया जो तू ऐसी बहकी बहकी बातें कर रहा है " जॉन ने पूछा
"कुछ नही दोस्तों बहुत कुछ हो गया , मुझे उम्मीद की किरण मिल गयी और अब तो माँ की दुआ भी मेरे साथ है मुझे अब उससे प्यार का इज़हार करने से कोई नही रोक सकता तुम्हे नही पता भव्या का फ़ोन आया था उसने मुझे जो भी बताया उसे सुन मुझे यकीन हो गया की मेरा प्यार एक तरफ़ा नही है आग दोनों तरफ बराबर लगी है बस फर्क इतना है की इधर आतिश -ए -इश्क़ भड़क चुकी है और उधर भड़काना बाकी है " हंशित ने कहा
ये सुन लव, कुश और जॉन ने उसे गले से लगा लिया और बोले " बहुत बहुत मुबारक हो मेरे भाई आधी जंग तूने जीत ली बस आधी और जीतना है उसके बाद तुम दोनों को एक होने से कोई नही रोक सकता "
वो चारो खुश थे तब ही दरवाज़े पर किसी की दस्तक होती जिसे देख वो घबरा जाते। आखिर कौन था जानने के लिए पढ़ते रहिये ।
MR SID
08-Aug-2022 10:23 AM
Bahut khub
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Nancy
08-Aug-2022 10:17 AM
Nice
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Khushbu
08-Aug-2022 10:17 AM
बेहतरीन भाग
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